Junk Food effect on Child : बच्चों के हित में जंक फूड की मार्केटिंग पर रोक जरूरी

Junk Food effect on Child : बच्चों के हित में जंक फूड की मार्केटिंग पर रोक जरूरी

Jul 12, 2023 - 08:24
 0  16
Junk Food effect on Child : बच्चों के हित में जंक फूड की मार्केटिंग पर रोक जरूरी
Follow:

स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले खाद्य पदार्थों की मार्केटिंग दुनियाभर में चिंता का विषय है। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बच्चों के लिए जंक फूड की मार्केटिंग पर अनिवार्य प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है। भारत के लिए इस सिफारिश पर तेजी से काम करना जरूरी है।

देशों के लिए सुझाव

डब्लूएचओ के अनुसार मार्केटिंग प्रतिबंधों को किसी देश के आहार संबंधी रीति-रिवाजों, ताजा उपज की उपलब्धता तथा मौजूदा शासन नीतियों के अनुरूप बनाया जा सकता है। लेकिन स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचानेवाले खाद्य पदार्थों की मार्केटिंग के लिए उद्योगों के खिलाफ राजनीतिक नेतृत्व और समुदाय भी आगे आ सकते हैं।

पैकेट को जरूर पढ़ें

 दुर्भाग्य से, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण पैक पर चेतावनी लेबल लगाने से पीछे हट रहा है। इस बीच, उपभोक्ता पैक के पीछे पोषण संबंधी जानकारी पर करीब से नज़र डाल सकते हैं। यह थोड़ा मुश्किल है, लेकिन चौंकाने वाले तथ्य उजागर कर सकता है। कई फलों के जूस में कार्बोनेटेड पेय की तुलना में अधिक चीनी होती है।

क्या है WHO की गाइडलाइन?

डब्लूएचओ ने सदस्य देशों से सभी उम्र के बच्चों की सुरक्षा के लिए उच्च वसा, नमक और चीनी की अधिक मात्रा वाले खाद्य पदार्थों की मार्केटिंग पर अनिवार्य रूप से प्रतिबंध लगाने पर विचार करने कहा है। खाने पीने के सामानों के चयन में मार्केटिंग का काफी प्रभाव होता है। विज्ञापनों के जरिए बच्चों को टारगेट करने से पोषण और उपभोग के बारे में उनका दृष्टिकोण प्रभावित होता है। इस तरह की मार्केटिंग बाल अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उल्लंघन करती है। देश खाद्य पदार्थों पर रोक के लिए स्थानीय आहार मॉडल का उपयोग कर सकते हैं साथ ही बच्चों को मनाने के लिए विज्ञापन को सीमित कर सकते हैं।

अध्ययन से खुलासा मार्केटिंग का प्रभाव काफी ज्यादा

दुनिया भर के अध्ययनों की समीक्षा से पता चलता है कि खाने-पीने के सामान बेचने वाली कंपनियों की मार्केटिंग की ताकत काफी अधिक है। टेलीविजन, डिजिटल मीडिया, पैकेजिंग और खेल प्रायोजन के माध्यम से कंपनियां सामानों की मार्केंटिंग करती हैं। दुकानों, स्कूलों, रेस्तरां तथा सार्वजनिक परिवहन पर खाने-पीने के सामानों की मार्केटिंग एचएफएसएस खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देती है। इनकी रणनीति में सेलिब्रिटी से समर्थन, स्वास्थ्य पर दावे, खेल, एनीमेशन और बच्चों की आवाज़ का उपयोग शामिल है। जिसका प्रभाव कई गुना होता है। विज्ञापनों से इमोशनल जुड़ाव के साथ अल्ट्रा-प्रोसेस्ड जंक फूड की खपत बढ़ गई है।

भारत में समस्या काफी गंभीर

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अध्ययन से पता चलता है कि चार में से एक वयस्क या तो प्री-डायबिटिक या मधुमेह से पीड़ित है। लगभग 40 भारतीयों ने पेट के मोटापे की शिकायत की है। अन्य अध्ययन बच्चों में भी गैर-संचारी रोगों की बढ़ती घटनाओं के बारे में बताते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि तंबाकू और शराब की तरह जंक फूड की मार्केटिंग को प्रतिबंधित किया जाए।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow